फुलरियक फुलाहस् फुल्तीरहे, तोहाॅर जीन्दगी..! हर कदममे शिखर चुम्तीरहे, तोहाॅर जीन्दगी..! पत्ता झरके, फुला सुखाके गैले से फे..! हरदम सुगन्ध छर्तीरहे, तोहाॅर जीन्दगी..!
अंकर "अन्जान सहयात्री" पथरैया-4 जबलपुर,कैलाली
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