~ चिङ्ना बसई~ थारु भासा क साहित्य

Monday, 14 November 20160 तपाइको प्रतिकिया ब्यक्त गर्नुस

Posted By :- Admin {Hamar Sanesh}


कुखुरीका भेलउ बिहान,उठहरी हल हलि भन्सिया।
कुखुरीका भेलउ निजोर,उठहरे हल हलि पनोटिया।

सुनहरे थारु भाई हमरा, रह ह निनाईली पाछा परई बाणह।
उठहरे चारु यार थारु भाई, यापन हक अधिकार  झिन छाणह।

जागहरी थारु दिदी बहिनी,थारु सस्कृती क सम्मान करहु।
बणउ भुलाइ यापन पहिचान,लौठा लौठा प्रतिभाक खोजी करु।

बचाउ यापन जन्मभुमि भाषा,दलालक हात मा कब्जा हखलउ।
शोषक नेताक करणसे टिकापुर घटनामा, निर्दोष थारु जेल परलउ।

हैनो चाहिँ हमार जातिय प्रदेश,चाहिँ सङ्घियता सहितक पहिचान।
बढ्ह यगुवा थारु भाइ यागा,तबन करतउ थारुक सबहुजना बखान।
                # Chitwan Chhannu
                 खैरहनी न. पा.~१,बहेरा

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