गजल___
महि लागट जिन्गी सोचल जस्ट नैरहट ।
सक्कु मनैन्हँक विचार वस्ट वस्ट नैरहट ।।
मन कहट बिन काम कर्ल ऐस केल करूँ।
मुले, संघर्ष बिनाके भविष्य स्पष्ट नैरहट ।।
सायद सक्कु जहन्क सोंच अक्क हुइट ट।
इ समाज इ दुनियाँ कब्बु भ्रस्ट नैरहट ।।
घुसखोरी ओ नातावाद जर नैगारट ट ।
हमार द्याश वर्षौंसे जस्टक टस्ट नैरहट ।।
धनी गरीब बिच'क देवाल ढ्याङ्ग नैरहट ट।
इ 'शराबी'कब्बु शराब पि'क मस्ट नैरहट ।।
©श्याम शराबी