महि लागट  जिन्गी सोचल  जस्ट नैरहट - गजल ©श्याम शराबी

Tuesday, 8 November 20160 तपाइको प्रतिकिया ब्यक्त गर्नुस

Posted By :- Admin {Hamar Sanesh}

गजल___

महि लागट  जिन्गी सोचल  जस्ट नैरहट ।
सक्कु मनैन्हँक विचार वस्ट वस्ट नैरहट ।।

मन कहट बिन काम कर्ल ऐस केल करूँ।
मुले, संघर्ष बिनाके भविष्य स्पष्ट नैरहट ।।

सायद सक्कु जहन्क सोंच अक्क हुइट ट।
इ समाज  इ  दुनियाँ कब्बु  भ्रस्ट  नैरहट ।।

घुसखोरी  ओ  नातावाद  जर नैगारट ट ।
हमार द्याश वर्षौंसे जस्टक टस्ट नैरहट ।।

धनी गरीब बिच'क देवाल ढ्याङ्ग नैरहट ट।
इ 'शराबी'कब्बु शराब पि'क मस्ट नैरहट ।।

©श्याम शराबी


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