मोर सजाईल सारा सपना फुलक कोपिला बन्के रहिगिल !
उ निष्ठुरी हे याद कर कर्के ई दिन्दगी भुवा बन्के रहिगिल!!
धोखा असिक देलि उ घर न घात के बनाके महि!
मोर माया के सारा सपना समाजके खेलौना बनके रहिगिल!!
गिन्दगी त देहेल भगन्वा क्रम देहे नै जानल महि!
ई स्वार्थी दुनियाँमा मोर जिङ्गी धुँवा बन्के रहिगिल!!
💔💔💔💔 लेखक
💔 सनम चौधरी💔