~ गजल~
झिनिमिनी मोर घरक यङ्ना यस्करे बणसु मुई खेलाई।
कहवा गेलिअ मोर सैया सबे दिन बणसु पैणा देखई।।
फुला यैसन फुल्वारी भरल रङ्ग बिरङ्ग बणउ फुलाईल।
भमरा यैसन फुलवामा भरल खोजु कस्के मोर सैया भुलाइल।।
हसते,खेलैते जिनगी बिताउ भेलउ साझ याउ घर।
यसकरे बणसु इसियाई तोरके लगई बणउ मोर डर।।
लवटके चल याउ तुइ यस्करे जिनगी बेकार हसउ।
तोर रुचल पोसाक मोर थारु क पहिरन सानदार बणउ।।
डगरे डगरे सहरे सहरे खोजते तोरके पुगलसु मुई गहिरुवार।
उझिट पुझिट के चल यलसु आखिर पउलसु तोरके सिसवार।।
#Chitwan Chhannu
खैरहनी न. पा.~१ , बहेरा