दुखके भरुवा जब परत बरा गरुँ लागत

Tuesday, 7 March 20170 तपाइको प्रतिकिया ब्यक्त गर्नुस

Posted By :- Admin {Hamar Sanesh}

गजल
दुखके भरुवा जब परत बरा गरुँ लागत
दाइ बाबा कती क्याकर पाउँ परुँ लागत

जहा हेरो अंधकार जैना कहुँ दगर नै हो
जिन्गीसे हार खाके जिउ'की मरुँ लागत

किउ नैहो दुखिनके मन्के वह सुन्ना इहा
मुर्तिक्थे जाक मनक ब्वाझा धरुँ लागत

दुख्ख मन चिन्हल मनैफे दुर हुइती जैथ
नातपातन्से फे खै का आस करुँ लागत

पत्ठरके मन बातिन मैन नै हुइतिन हजुर
स्वार्थी यि समाजसे बहुत दुर सरुँ लागत

होम दहीत
पहाडीपुर बर्दिया

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