हर्ना निहो साहस जुटाक उठि हम्र नारी

Friday, 3 March 20170 तपाइको प्रतिकिया ब्यक्त गर्नुस

Posted By :- Admin {Hamar Sanesh}

गजल

हर्ना  निहो   साहस  जुटाक  उठि  हम्र  नारी
चट्टान  हो   समाज  फुटाक  उठि  हम्र  नारी

हिम्मट  कर  पर्ठा  सर्वोच्च  शिखर  छुना  उ
बिग्रल कामक  केर्नि बुटाक  उठि  हम्र  नारी

पाछ परल बाटि  कठि पाछ  पारल  हो हमन
पुगल  बन्धनक  डौरी टुटाक  उठि  हम्र नारी

संस्कृटि  बचैना  सस्कार  सिख्ना चाहा करि
खुसी म चहकार पिठा कुटाक उठि हम्र नारी

स्वतन्त्रता  से  जिए पाई  पर्ठा हम्र सक्कुज
उ  लटपटाइल  बौउरा  छुटाक  उठि हम्र नारी

विष्णु कुसुम
घोराहि, दाङ ।

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