खुशिराम रत्गैयाँ ( बाँके )
☎☎ ( गजल ) ☎☎
पहिरनम लेह्ङ्गा चोलिया लगायो बाबु
झोटी म लाल रिवन सजायो बाबु ॥
हमार थारू पहिचान आकर्शित कर्ना
गाउँ शहर बजारम जोगायो बाबु ॥
डिस्को डान्स मे रंग फेर्ना चलन छोर देउ
आपन झुम्रा मघौता नाचम रमायो बाबु ॥
अखबार बोक्के नेङ्ना लाखपती नाहि
मनकारिक रोजी मैया बसायो बाबु ॥
दौलत के दासि बन्खे सिंगार कर्ला से
लेह्ङ्गा चोलियम जीवन चलायो बाबु ॥