" थारु भाषामा मुक्तक "
मनसे देखबही तब करिया बडिय हसे लुरी।
साउन परलई रे अब त चाहे भर हाथ चुरी।
जथि जथि मन लगतई उहे करसी तुई उहाँ,
तोर मरदावा बिदेशमा करई बडिहे मजदुरी।
साउन परलई रे अब त चाहे भर हाथ चुरी।
जथि जथि मन लगतई उहे करसी तुई उहाँ,
तोर मरदावा बिदेशमा करई बडिहे मजदुरी।
- नबिने चौधरी चितवन