भासा नाहि त भेस नाहि ,भेस नाहि त देस नाहि,भासा बचावके बलजोर करौ।
नेपालक पर्मुख आदिबासिक रुपमा थारु जाति बहुत यागा बडिए।हमार थारु जातिक यपने पिरथक सस्किरिति ,रहनसहन ,खानपान भेसभुसा हसे रितिथिति बडयि ।
हमार सस्किरिति लोप हखिके बचावके तहिया हमरा पढल लिखल थारु बुदिजिबि ,बिद्यार्थी हसे सबहु थारु जाति सभ
समयमा चासो नाहि देबहु जउत थारु भासाक रितिरिवाज एगुठा ,दुगुठा पुस्तामा मातुरे सिमित हखेसकतइ ।
हुनत सन्सार समय अनुसार परिवर्तन बडइ।परिवर्तन सन्सारमा समय अनुसार भेसभुसा ,रितिरिवाज,हसे समाज परिबर्तन हखिके नौलो हैन हलइ।तर एकरके बचावके हमार उतरदाइत्व फेनि बहुत बडइ।
post : Dhanbir Chaudhary