एहया छिए थारुके मुल संस्कार दारु - सुरेश चौधरी

Monday, 27 March 20170 तपाइको प्रतिकिया ब्यक्त गर्नुस

Posted By :- Admin {Hamar Sanesh}

छेखै थारु खेछै दारु,
कर्छै घरमे झगडा ।
काम करे जे छै त्याँ त
हेछो सवदिन लफडा,।।

थारु छेखै ठिक त्याँ
दारु ख्यावहै नै पर्ते,।
बाल बच्चा केनन्के सुधर्तै,
उ रसतामे सवकोइ आवेपर्ते,।।

सब दिन एक प्लेट मासु,
साथमे एक बोतल दारु,।
घरके आदमि सम्झतै त,
उल्ट्या कहतै मार उ,।।

एहया छिए थारुके मुल संस्कार दारु,।।

थारु युवा साहित्यकार सुरेश चौधरी
सप्तकोसी एफएम से हम छियो घोषत,।

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