मुक्तक,, अाँखीक तिर मारके निसाना बनादेअाे । हर्दम रातदिन ताेहार याद ऐना बनादेलाे ।
राम कस्म गाैकिरसे तु बरी सुग्घर बताे । राेजदिन लगईना लिबिस्तिक बनादेअाे ।
शिवराज न.पा.३, कपिलवस्तु राम अवतार चाैधरी
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