एक दिन ऊ मोर झोपरी देख्लिन् । ~ सत्यनारायण दहित

Thursday, 28 July 20160 तपाइको प्रतिकिया ब्यक्त गर्नुस

Posted By :- Admin {Hamar Sanesh}


एक दिन ऊ मोर झोपरी देख्लिन् ।
झेन्द्री झेन्द्रा लुग्लक् पोकरी देख्लिन् ।
ओहे दिनसे मैयाँ मार देलिन मोर,
जहिया इँट्टा बोक्ना टोकरी देख्लिन् ।।

~ सत्यनारायण दहित

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