उहे आँसले अपन मुह, धोउइया बहुट बाटै

Thursday, 20 October 20160 तपाइको प्रतिकिया ब्यक्त गर्नुस

Posted By :- Admin {Hamar Sanesh}


गाउँघरके याडमे यहाँ, रोउइया बहुट बाटै.।
उहे आँसले अपन मुह, धोउइया बहुट बाटै.।
'
जन्म देहल डाई बाबा, लर्का पर्कन सम्झटी.।
सिरहन्नीमे ढारल फोटु, छुउइया बहुट बाटै.।
'
घरे जाई नाई पाके, टिका लगाई डसिंयामे.।
उहे याडमे जेंउरा यहाँ, बोउइया बहुट बाटै.।
'
राटदिन काम करके, हाटगोरा सराके यहाँ.।
नोनमिर्चक चट्नी भाट, खउइया बहुट बाटै.।
'
दुःख बिमार पर्ले से,हेरडेख् करुइया नै हुके.।
हजारौं पठरिम् यहाँ मुह,बउइया बहुट बाटै.।
"
अंकर 'अन्जान सहयात्री"
पथरैया-4 जबलपुर,कैलाली

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