कबु दु:ख ट कबु सुखक, मेल हो हमार जिन्गी कबु जिट्ना कबु हट्ना, खेल हो हमार जिन्गी न्याग जानो ट लिरौसी नै जानो ट कठिन बा, आपन रप्टारम नेग्ती रना, रेल हो हमार जिन्गी
मुक्तक प्रेषक :- लब अबिरल बर्दिया
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