थारु के असली पहिचान, साथे हमर उखाम,
लिलानाथ गच्छदार नाम देल्किस साहित्यकार,
अचरा खडकी चोलिया, पिरसियाम आङ्ग,
कमनी सवछु, सम्झना लाग्छय उजरिया चान,।
बहुत असल बहुंत सुन्दर आपन सियान के पहिचान,
तोर लगल संस्कार पहिरन देखिके कर्छुन हम सम्मान ,।।
अचरा खडकी चोलिया मोहड्या बाठे छु मुख,
तोर आङ्गके गहना छेकु, भगवान बनल छु सुनरी रुप,।
कते छ्हस कतकर छेखस, बहुत असल तोर संस्कार,
सवेना मोरङ्गिया सुनसरिया अचरा खडकी लिहार,।।
अचरा खडकी लगल आपन पुर्खौली पहिचान सुहल,
उजर अचरा लाल चोलिया, कारिय गुनियाँ खडकी लगल,।
हमर दिल दिमाकमे छे, आपन गावं घरके दैयगुदि समल,
आपन पहिचान आपन संस्कारके राखल छे सम्झना बचल,।।
मोरङ्ग सुनसरी थारु खवास के पहिचान अचरा खडकी,
थारु खवास समाजके पुर्खौली पहिचान आर मान बडखी,।
थारु खवास समाजके मिसथार्नी सव पिन्हिके सवकोइ देखा,
आपन थारु खवास समाज के पहिरन इतिहास मे चिन्हा,।।
थारु युवा साहित्यकार : सुरेश चौधरी मोरङ्ग बिराटनगर,