कविता-चुनाउ ओ गरीब
~~~~~
आईथ चुनाउ नेपालमे जब।
कथै गरीबके लग मेला।।
बौछार चलथ जाँर सिकार।
गरिबुवाउ भँक्री दोगो चाहे देला।।
~~~~~
गरीबनके नाउँ धनितुवानके गाउँ।
सोच्थै खाई हम्रे दोष ओईन लगाउ।।
गरीबन ताना मारके तीर चलैथै नेतान ओर।
मै ज्ञानी मोरे ज्ञान फैले सब ओर।।
~~~~~
देहभर मास परल बा हमार गरीबनके।
मरब चील्हार खैथै की गिदार के जनथ।।
खाली समय सब कुलुवा दुन्द्रा झक्थी।
ओम्मेक मच्छी गिदार विलार हमार जीता बनथ।।
~~~~~
लालच नाई हो लेना चुनाउम सिकार दारू।
जे कुछ करी उहिने जीताब पहारि या थारू।।
पुराने पहिचान बा दबला चतुवा गुम्रा।
कबु कबु आईथ चुनाउ हम्रे सद्द खैथी गैथी झुम्रा।।
~~~~~
मर्नै बा टे मारो तिस्लोर तीर ओहरी सोझारके।
गर्याई खोज्थो नेतान गरीबन आगे सारके।।
चोट लागि कबु चोट्गर गरीबसे चलबो।
लाज लागि लजर झुकैबो नेङबो जब करिबसे।।
~~~~~
लेखक:=असिराम डंगौरा