"गरिबक जिनगि" मुक्तक,गजल[लेखक=मनु चौधरी ]

Wednesday, 14 December 20160 तपाइको प्रतिकिया ब्यक्त गर्नुस

Posted By :- Admin {Hamar Sanesh}

झिन रोक प्यरी,झिन छेक पैडा,गोणवामा कानके....!
बिदा कर देहि,दु:खद घडी ,मनवामा थामके....!!

       लालाबाला छाडके जाहु कस्के मुई यापन देश....?
        छतियामा यापन धरके पत्थर जाई बडसु परदेश..!

भाग्य यी कस्नुक लिख्ले हे दैब, दुःखमा डुबल.....?
नाही जाउ कस्के तिरु यि ऋण, घेनटिया पुगल.....?

         बढल जेसउ चिन्ता,देखके घटल बखारिक धानवा
         दाओ-बाबा बुणबुणि,नसकतउ करे घरक कामवा

येसनुक-ओसनुक कहके, कतेक रमाहु सपनामा....!
टुटल सपना,यखियामा रोर,कन्ससु बिपनामा....!!
        
         बर्सौ भेलउ उअ देहियाक लुगवा,फेरेन सकलसु..!
         भुलाइल खुसी चेहरामा तोर, हेरेन सकलसु...!!

सोनक चुरी छन्छन तोर हथवामा हतउ.....!!!
हमरो छोकना छोकनी हस्ते खेल्ते,स्कुल जेतउ....!!!

         सम्झाना यतउ गाउँ घर,सितरी पकडिक छाया....!
          सम्झाना यतउ सदा ,तोर मनमा बसल माया....!!

बर्खा ओरेतउ,फुला फुलेतउ खेतवा भरी तोरि...!!-2
फिरबिहे पर्देसिया खुसीलेले,वाही बर्सावा ओरि...!!-2
              लेखक= मनु चौधरी (हाजिपुर)

Share this article :

Ads2
SHARE THIS POST IN YOUR CHOICE LOCATION

 
Copyright © 2017 - हमार सनेश डटकम.COM - All Rights Reserved.
Design By :- Nabeene Chaudhary | Powered by :- Deepa Mht

| Home | About | Blogs | Contact | RSS*

Admin / Editor :- RN Chau.. Tharu