थारु चाडपर्वके तीथिमिति (थारु भाषा)

Wednesday, 29 March 20170 तपाइको प्रतिकिया ब्यक्त गर्नुस

Posted By :- Admin {Hamar Sanesh}
लम्मा समयसे समाजमे चलरहल चालचलन, रीतिथिति, बोली, भाषा, लवाई, खवाई, चाडपर्व, भोजबिबाह, उठबसके तौरतरीका, नाचगान आदिहे संस्कृति कहठैं । समाजसे लम्मा समयसे अपनागिल तौरतरीकाके परिणाम नै संस्कृतिके बर्तमान रुप हो । अर्थात संस्कृति मनहे शान्ति देहेक लग ब्यक्ति ओ समाजसे अपनागिल एक पद्धति हो । पुर्खनके बिरासत हो, सहिदान हो, सहचिन हो, सम्पत्ति हो ।
जनतनके चाहनाके परिपूर्ति कर्ना राज्यके दायित्व हो । अर्थात हरेक जनतनके, समुदायके, पुर्खनके बिरासतरुपी संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बद्र्धन कर्ना राज्य, सरकारके दायित्व हो । हमार फे दायित्व हो । का ऊ दायित्व राज्य निर्बाह कर्ले बा ? हमरे निर्बाह कर्ले बाटी ? हमारठे यी अहं प्रश्न जिउगर बा । हमार राज्य, हमार सरकार अधिकांश ब्राम्हन क्षेत्रीके संस्कृति, चाडपर्बहे मान्यता डेले बा । हमार गुरीया, अतवारी, चिरैं कलेक का हो ? उहीहे पता नाइहुइस् । थारुनके चालचलन, संस्कृतिके बिरोधी मनैन हम्रे सांसद बनाके पठाडेहठी । सरकारमे पुग्टी किल ओइने हमारे पर छुरी चलाई भिरजैठैं । थाकस, थारु नागरिक समाज कैलाली २०६३ सालसे थारुनहे अतवारीमे २ दिन बिदा हुइपरल कहके माग रख्टी आइल बा, सुनुवाई नाइ हो । ब्राम्हन, क्षेत्रीनके चाडपर्व राज्यके चाडपर्व बनगिल बा । हमार चाडपर्व ओकर लग उगड्ड होगिल बा । ओइनके अधिकांश मन्दिरहे सरकारी बजेट बा, हमार ठनवा मरुवा ओस्ते परल बा ।
थारुनके चालचलन, संस्कृतिके बिरोधी मनैन हम्रे सांसद बनाके पठाडेहठी । सरकारमे पुग्टी किल ओइने हमारे पर छुरी चलाई भिर जैठैं ।
हालसमके हमार सरकारके रवैया, चालचलन यिहे हो, मने हमरेफे यी बिषयमे गम्भिर नाइहुई । सरकारसे पैना सेवा सुबिधाके लग हमरे फे पहल नाइकर्ठी । आजकल हमरे धेर मनै बाह्य संस्कृतिके दबाबमे परट जाइटी । अपन तमाम संस्कृति छोरट जाइटी । हम्रे संस्कृति बचाइक लग मुहसे मजामजा बात कर्ठी, मने ब्यबहारमे नाई उटर्ठी । अनि हमार संस्कृति बची कैसिक ? हमार संस्कृतिमे एकरुपता नाइ हो, एकरुपता हुइना चाही कना सकहुनके चाहना हो । संस्कृति भताभुङ्ग हुइटा, बचाई परल कना सकहुनके चाहना हो । मने बचाई के ? हमार संस्कृति उपर आक्रमण करुइया, हमार संस्कृति बचाडिहिं ? कल्पना नाइकर्लेसे हुइठ । हमार संस्कृति बचाइक लग हमरहन आगे सरेपर्ना हो, बरहेपर्ना हो । जिम्मेवारी, दायित्व निर्बाह करे पर्ना हो ।
पात्रोके शुरुवात 
अइसिन चिन्तन, मनन, छलफल अपनेनके बीचमे फे हुइत हुई । मने ब्यबहारमे कमे उतरत हुई । हमारबिचमे फे कैचो हुइल । सँघरीयनठे मै कैचो कहनु, कैचो लिख्नु फे कि हमार लावा साल माघ हो । जब लावा साल माघ हो कलेसे लावा सालके सूचक का हो ? ईस्बी सम्बत, बिक्रम सम्बतअनुसार लावा साल आइठ तो बजारमे क्यालेण्डर आइठ, लर्का शुभकामना डेहटी पोष्ट कार्ड पठैठैं । संघ, संस्था, कार्यालय, संगठन, ब्यक्तिहुक्रे शुभकामना कार्ड पठैठैं । हमरेफे शुरुवात करी । कैलाली धनगढीस्थित थारु छात्राबासमे थारु कल्याणकारिणी सभासे आयोजित बैठक, छलफलमे ढर्नु । अपन लर्कन, जाई गाउँक लर्कनहे हौसला डैके पोष्ट कार्डफे पठाइक पठावा करैनु । मने ओतरैमे सीमित रहल । दोसर गाउँओर नाइबरहल ।
यिहे सिलसिलामे बुन्दीलाल चौधरी जी थारुनके लावासाल माघ हो कलेसे हमरे फे थारुभित्ते पात्रो माघसे निकारी ना कना बातमे जोड डेहनै । ऊ बातमे हमार समर्थन रहल । उहे सल्लाह अनुरुप हम्रे बि.स.ं २०७० सालमे पहिलचो थारुनके लग थारु कल्याणकारिणी सभा कैलालीमार्फत माघ महिनामे भित्तेपात्रो निकारल रही । जेकर नाउँ ‘थरुहट भित्तेपात्रो’ रहे । थारु कल्याणकारिणी सभाके तत्कालीन सभापतिके नातासे प्रभातकुमार चौधरी येकरलग भारी भूमिका निर्वाह करल रहैं । थारुनके क्षेत्रमे चल्ना भित्तेपात्रो कहना अर्थसे निकारल भित्तेपात्रोमे तमामजे यी तो ‘थरुहट तराई पार्टी’क भित्तेपात्रो हो कहके प्रतिक्रिया डेहनै । सँगे समयके फेरबदल, थाकसके नियमित आर्थिक श्रोत, नेतृत्व परिबर्तन आदिकेकारण थारु भित्ते पात्रोहे निरन्तरता डेहनामे समस्या देख परल । भित्तेपात्रोके सामाग्री संकलन कर्ना, सम्पादन कर्ना जिम्मा मोरे रहे । निरन्तरता डेहेक लग २०७१ मे हमरे ‘जखोर लेक परिषद (इन्जल) नेपाल’ संस्था दर्ता कर्ली ओ थारु भित्तेपात्रोहे निरन्तरता डेहना शुरु कर्ली । पहिल साल (२०७०) पात्रो डिजाइन ‘अपि अफसेट प्रेस’ करल रहे कलेसे बि.स.ं २०७१ सालसे पात्रोक डिजाइन निरन्तर ‘साथी डेस्क टप’ कर्टी आइटा ।
थारुनके चालचलन, संस्कृतिके बिरोधी मनैन हम्रे सांसद बनाके पठाडेहठी । सरकारमे पुग्टी किल ओइने हमारे पर छुरी चलाई भिर जैठैं । थाकस, थारु नागरिक समाज कैलाली २०६३ सालसे थारुनहे अतवारीमे २ दिन बिदा हुइपरल कहके माग रख्टी आइल बा, सुनुवाई नाइ हो ।
पात्रो गाउँघरमे पठाइबेर तमाम बुद्धिजीवि, तमाम जिज्ञासु, शुभ चिन्तकहुक्रे थारु भित्तेपात्रोमे गर्ब कर्नै, सल्लाह सुझाव डेहनै । वहाँहुक्रे थारुसम्बत बारेम फे सुनरहले रहैं । काकरे कि कैलालीसे निकर्ना नेपालके थारु भाषक पहिल दैनिक पत्रिका पहुरा ओ दाङसे निकर्ना लौव अग्रासन साप्ताहिकमे थारु सम्बत उल्लेख हुसेकल रहे । हमार पहुरा डट कम, थारुवान डटकममे फे यी बात आसेकल रहे । मने मै थारुसम्बतके आधार का हो ? थारुसम्बत, समय निर्धारण करुइया के होइँ ? ओकर खोज, अध्ययन अनुसन्धानमे रहुँ । थारु सम्बत लिखुइया यी दुनु पत्रिकामे फे एकरुपता नाइरहे । एक सालके फरक रहे । बिनाआधार भित्तेपात्रोमे लिखडेलेसे समुदाय आउर अन्यौलमे परजाई कहके मै ध्यान नाइडेले रहुँ । अनुसन्धानके सिलसिलामे २०७१ सालमे फेसबुकमे कनैलाल जीसे भेटघाट, बातचित फे हुइल रहे । मने थारु सम्बत घोषणा करुइया हमरे हुई कहके नाई बतैले रहैं । उहाँ अन्तर्राष्ट्रिय मञ्चमे लिखल अपन एकठो डकुमेन्ट पठाडेहल रहैं, मने मोर लिखल हो कहके खुलासा नाइकर्ले रहैं । २०७३ पुषमे मै फेसबुकमे थारु सम्बत बारेमे किहि जानकारी बा ? येकर साल, मिति, गते निधारण करुइया के हो ? कना स्टेटस लिखल रहुँ । दाङके कनैलाल जी येकर बारेम अपनहे पता रहल, अपनेहुक्रे घोषणा करल बात बतवैनै । मोर अनुरोधमे वहाँ घोषणा करल तिथिमिति, आधार फे पठैनै । मै उहीहे कैयो चो अध्ययन कर्नु । वहाँ बि.स.ं २०६४ साल भादौ २२ गते नेपालु चौधरीक अध्यक्षतामे बालकृष्ण चौधरीक उपस्थितिमे थारु सम्बतके घोषणा करल रहैं । घोषणा करल सालके माघ थारु सम्बत २६३० (बिक्रम सम्बत २०६३) माघ १ रहे । सन २००७ रहे । जब बैशाख लागल तो बि.स.ं २०६४ हुइल रहे ओ बि.स.ं २०६४ भादौ २२ गते उहाँहुक्रे घोषणा करल  रहैं । उ मितिअनुसार अब्बे थारु सम्बत २६४० ओ बिक्रम सम्बत २०७३, सन २०१७ चलता । भगवान बुद्धके जन्म साल, थारुनके लावा बरष, महिनाके आधारमे थारु सम्बत घोषणा करगिल बा । निश्चित आधार पाके बि.स.ं २०७३ ओ थारु सम्बत २६४० मे हमरे थारु भित्तेपात्रोमे थारु सम्बत फे उल्लेख कर्ले बाटी । मिहिन लागठ, अब थारु भित्तेपात्रोहे यी थप शोभा बरहैले बा । समुदायहे गर्ब कर्ना ठाउँ डेहले बा ।
थारुनके लावा साल माघमे इन्जल नेपालसे प्रकाशन हुइना यी नेपालके पहिल ‘थारु भित्तेपात्रो’ हो । थारु समुदाय आज यी पात्रोसे धेर लाभान्वित बा । आज कैलालीसे दाङ्गतक यी पत्रिका जाइटा । पात्रोके सहयोगसे हमार चाडपर्व, संस्कृतिमे एकरुपता आइटा । “राज्यसे उपेक्षित, अपहेलित ओ हेरारहल, ढिलारहल थारु संस्कृतिप्रति थारुनके माया, मोह जागटा, हौसला बरहटा, संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बद्र्धनमे टेवा पुगटा” । पात्रो प्रकाशनके उद्देश्य फे यिहे हो ।
चुनौती
राज्यसे अपहेलित थारु भाषाके पत्र, पत्रिका प्रकाशन ओ निरन्तरतामे जौनमेर चुनौती बा, ओस्ते चुनौती थारु भाषा, चालचलनहे समेटके लावा साल माघसे प्रकाशन कैजिना ‘थारु भित्तेपात्रो’ हे फे निरन्तरता डेहना भारी चुनौती बा । अभिन फे चेतनाके कमीकेकारण थारु भित्तेपात्रो ओ आउर भित्तेपात्रोमे फरक छुट्ट्याई सेक्ना मनै कम बाटैं । बैशाखसे निकर्ना कतिपय भित्तेपात्रोमे गुरीया सावन १ गते लिखडेहल रहठ । जब कि गुरीया नाग पञ्चमीक दिन मनैठैं । पात्रो निकर्ना संघ, संस्थाके लापरवाहीसे फे थारु संस्कृति धरापमे परटा । मने समुदाय अभिनमे भ्रममे पर्टी बा । यिहिसे फे थारु भित्तेपात्रोहे चुनौती बा । दोसर तमाम संघ, संस्था, संगठन, बैंक, सहकारी संस्था भित्तेपात्रोबैशाखसे निशुल्क बितरण कर्ठैं । मनै संस्कृति बचैनासे फे निशुल्क पात्रो पैनामे धेर चिन्तित बिल्गैठैं । अक्के साँझमे मुर्गा दारु नास्ता पानीमे पाँचसय हजार रुपिया खर्च कर्ना मनै ५०, ६० रुपियक थारु भित्तेपात्रो खरिदेबेर रोवन अइठिन् । थारुनके चाडपर्बके लग थारु भित्तेपात्रो आवश्यक हो, कहके गाउँ गाउँ सम्झैना, बुझैना अभियन्तनके लग भारी चुनौती बा ।
अनुरोध
संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बद्र्धन कर्ना हमार सकहुनके जिम्मेवारी हो, दायित्व हो । हमहन हमार संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बद्र्धन कर्ना हो कलेसे हमरन आगे सरही पर्ना हो, ब्यबहारमे उटरही पर्ना हो । यदि गाउँघरमे मनाजिना गुरिया, चिरैं, माघी, धुरहेरी, अतवारी निरस बन्टी जाइटा कलेसे बुझे परल कि ओमने हमारे कमजोरी बा, जन्ना सुन्ना मनैनके कमजोरी बा । चौंकस, मजा बनाइक लग अपनही आघे सर्ना जरुरी बा । धेर जैसिन चालचलन जन्ना सुन्ना मनैनसे बिग्रठ कहके बुझ्नाआवश्यक बा । तबमारे सकहुन अनुरोध बा, यदि संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बद्र्धन कर्ना हो कलेसे हमरे अपनही आगे सरी, बरही ओ ब्यबहारमे उतारी ।
निष्कर्ष
ओरौनीमे का कहे सेकजाई कलसे संस्कृति हमार पुर्खनके बिरासत हो । संस्कृति संरक्षण ओ सम्बद्र्धन एक ब्यक्तिसे सम्भव नाइ हो । मजा संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बद्र्धन कर्ना ओ खराब संस्कृतिहे सबजे मिलके बिदा कर्ना, एकरुपता अन्ना हमार सकहुनके सामुहिक कर्तब्य हो, दायित्व हो । संस्कृति संरक्षण, सम्बद्र्धनके लाग चाडपर्व कहिया मानजाइठ ? काकरे मानजाइठ ? संस्कृतिके महत्व का हो ? नाइ बुझटसम, हमार मन, दिल, दिमागमे स्थान नाइपाइटसम यी सम्भव नाइहो । सम्भव बनाइक लग सबजे बुझ्ना, बुझैना ओ थारु त्यौहार, चाडपर्वके तिथी, मिति उल्लेख करल भित्तेपात्रोक आवश्यकता बा । तबेमारे तमाम संघ संस्था, संगठन, बैंक, सहकारी आदिसे बैशाखमे तयार करजिना, निकर्ना भित्तेपात्रोमे थारुनके तरे उल्लेख करगिल चाडपर्वहे उल्लेख कर्ना बिल्कुल जरुरी बा ।
थारुनके तरत्यौहार, दिवस
 माघ १गते – थारु लावा साल (लहान, सेवासलाम लग्ना दिन, निसराउ कहर्ना डेहना दिन)
 माघ २ गते – खिचरहुवा, (खिचरी खैना)
 माघ २–७ गते – खोजनी–बोजनी, माघी देवानी, भुरा खेल, निसराउ डेहना हप्ता
 फागुन पुनवासी – धुरहेरी, होरी ।
 चैत ओजरीयाके पहिल सोम्मार – चिरैं÷चरै । कन्या स्वतन्त्रता दिवस(जौन चैत महिनाके बिच वा अन्तिममे परठ)
 बैशाख १ गते – जुरशीतल (बिक्रम सम्बतके लावा साल)
 बैशाख ओजरीया – भजहर
 बैशाख पुनवासी – बुद्ध जयन्ती । धुरीया पुजा ।
 जेठ ओजरीया – पुत बढाऊ पुजा, भजहर
 असार महिनाके पहिल शुख – मूठ लेहाई
 सावन ओजरीयाके तृतिया – राना थारुनके तीज
 सावन ओजरीया पञ्चमी तिथि – गुरीया÷गुरही ÷नाग पञ्चमी
 सावनके ओजरीया – हरेरी पुजा
 सावन २० गते – सिकल सेल रोगबिरुद्धके राष्ट्रिय जागरण दिवस
 भादौ अँधरीयाके अष्टमी तिथि – अष्टिम्कि÷कृष्ण जन्म अष्टमी
 भादौ ओजरीयक पहिल अतवार – बर्का अतवार÷अतवारी
 भादौ ओजरीयक चतुर्दशी– अनत्ता, अनत्तर, ईन्द्रजात्रा
 भादौ ओजरीयम– हरेरी पुजा (सावनके ओजरीयम फे करजाइठ)
 कुवाँर अँधरीयक अष्टमी तिथि – जितिया
 कुवाँर ओजरीयक परेवा – दहित थारुनके ज्यौंरा धर्ना दिन
 कुवाँर ओजरीयक द्वित्तिया – आम थारुनके ज्यौंरा धर्ना दिन
 कुवाँर ओजरीयक पञ्चमी तिथि – दहित थारुनके श्राद्ध
 कुवाँर ओजरीयक षष्ठी तिथि – झोलझर्ना
 कुवाँर ओजरीयक सप्तमी तिथि – घरपोतना, पैनस्टोपी धोइना दिन, लौव पातक दोनामे छाँकी चरहैना दिन
 कुवाँर ओजरीयक अष्टमी तिथि – ढिकरहुवा (कुलदेवता, पुर्खाहुक्रन ढिकरी चरहैना दिन)
 कुवाँर ओजरीयक नवमी तिथि – पितरहुवा, आम थारुनके श्राद्ध
 कुवाँर ओजरीयक दशमी तिथि – टीका (उज्जर टीका थारुनके चलन हो)
(कुवाँर ओजरीयाके अष्टमी ओ नवमी अक्के दिन परी कलेसे अष्टमीहे एक दिन आघ सार परठ, नवमी दशमी अक्के दिन परी कलेसे दशमी एक दिन पाछे सार परठ, थारुनके लाग नवमीके भारी महत्व रहठ ।
 कार्तिक अँधरीया अमावश – दिया देवारी
 कार्तिक ओजरीयाके द्वित्तिया – सामा चकेवा (पुरुब थारुनके) दियाको त्यौहार)
 अगहन ओजरीयक पञ्चमी – घोरीघोरा लवाङ्गी पूजा, सीता भोज पञ्चमी
 अगहन ओजरीया – लवाङ्गी पूजा
 पुष १५ – तमु ल्होसार परठ । येमने फे कुछ थारु सहभागी हुइटै ।
 पुष अन्तिम दिन – जिता मराई, पुरान सालके बिदाई, लावा सालके स्वागत, रातके जग्ना, धमार गैना, तीर्थके लाग प्रस्थान कर्ना दिन ।
copy by-hamar pahura
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