आपन सियानके पहिरन लाल चोलिया अचरा हे खडकी,
थारुखवास समाज बिहाके रितछेके इना लाल गुलाबी बर्थी,
लाल गुलाबी बर्थी आपन सियान थारु खवासके बिहाके बिद,
दैयगुदि भौजिके सुहछे पिन्हिके जब डालि बोकिके कर्छे बिद,।
थारु खवासके सान पुर्खौली पहिचान लाल बर्थी बिहाके बिद,
दुल्हा कन्याके एहवाती बनछे, दुल्हा भोर्छे लाल सिन्हुर से सिथ,।।
लया जमैया लया कन्या हमर धोती तोर गुलाबी बर्थीके सान,
मोरङ सुनसरीके संस्कार साथमे मिसथार्नीके बर्थी पहिचान,।
तोर सियान छहै हमर मनमे समल छुट्टै छु तोरसिके पहिचान,
बच्याके राखलैस आङ्गके गहना, मोरङ सुनसरीके छेखै सान,।।
मोरङ सुनसरीके समाज ,असल थारु खवास जातिके संस्कृति कला,
दैयगुदी भौजी पिन्ती जन त क्याम नै रहती थारुके पहिचान भला,।
वेहयासे आपन मातृभुमी पुर्खौली पहिचान संस्कारसव बचा,
आपन मोरङ सुनसरी ठाँउमे सवकै मिसथार्नी कहिके चिन्हा,।।
लाल गुलाबी बर्थी बिहामे सवकोइ पिन ,पहिचान छेकु अचरा खडकी,
दुई झनाके जीवनमे सुमधुर बनछु, एहयाना रङ्ग्चङ्गिया बर्थी,।
जब बिहादान मे पिन्छे बर्थी तब, शुद्ध हेछे मिलन कन्यादान,
आपन सियान थारु जातीके कला संस्कार देखिके कर्छुन सम्मान,।।
थारु युवा साहित्यकार : सुरेश चौधरी मोरङ