सोह्र, सत्र बरसक जस्ट उ जवानी, आब काहाँ मिलि
छुटी लर्काहस कर मिल्ना मनोमानी, आब काहाँ मिलि
.
केक्रो निमुवाँ नै चोर्ली कि खिरा, उ छुट्ट दुनियाँ रह,
नै कर्ना कामकर्ना फलफलाहा बानी, आब काहाँ मिलि
.
व्यबहारिक होसेक्नु, कपारिम ब्वाझा ध्यार बा म्वार
पहिलक जस्ट उ छरिड जिन्दगानी, आब काहाँ मिलि
.
एक पजार बुर्ह्याक किचकिच औरपजार लर्का बच्चन,
बिटल उ लस्गर मैगर पलके कहानी, आब काहाँ मिलि
.
जत्रा फुल्ना रह फुलसेकल जवानी, आब निम्झ्याइटा,
होस्याकल मुना ब्याला धानिकानी, आब काहाँ मिलि
गजल
लब अविरल
बर्दिया, नेपाल
२०७३ कुवाँर २९ गटे