[[होली विशेष मुक्टक]]
[होलिके मैगर शुभकामना]
"
खेलगिल बाँसेक् पिच्काँरी से, होली उहे जबाना मे।
रङ अबिर से रङ्गागिल, चोली उहे जबाना मे।
हिल्ला गोबर माटी से खेल्टी, घट्पटैटी लहडरुवा मे।
लागल रहे छैलिक् नजरके, गोली उहे जबाना मे।
"
अंकर 'अन्जान सहयात्री'
पथरैया-4 जबलपुर,कैलाली
Home
Literature
[[होली विशेष मुक्टक]]
[होलिके मैगर शुभकामना]
"
खेलगिल बाँसेक् पिच्काँरी से, होली उहे जबाना मे