गजल,,
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आईथ भगाई घम्हा घमौरा ऊसी जार।।
लैके थारूनके टरटिहुवार खुशी जार।।
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घाममे चट्कैना जारमे हाथगोर लग लगैना।
माघ फागुन परल बा थथमर्वाईल पुषी जार।।
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पहिलेक जवानम वन्वा फाँरके बेच्लि।
बिना काठीपाटाक का कटाई धानेक बुसी जार।।
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प्रकृतिके दया हेरो पट्झरके समय नानल।
सुहावन रूखुवाम हरियार फुलाईल टुसी जार।।
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असिराम डंगौरा
जोशीपुर ५ सिमराना
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लैके थारूनके टरटिहुवार खुशी जार !