चार हरफ छविलाल कोपिला,, कन्ढामे सिकहर बहिङा भर्वा मोर लस्कटा पुग्ना बा डुर देश, डिन ओहोर हेरो टस्कटा डगरा हेरठुइ छाइ, भुरभुरा मन्जिरक आसे यिहे समझ समझके जियरा मोर झस्कटा ।
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