रचना ,,
अवाज कते घैरल जेतौ तोहर सिंहदरबारमे
कियाक त, कुनियत छौ तोहर विचारमे
खुनिया, डाकू, ठक और कथि कथि छौ ?
असतिया करैत रैहिये तोहर सिंहदरबारमे
मुहदोबराके नोन ख्याके, जनताको लहु ख्याके
जाइत परजाइतके फसाइत रैहिये परिवारमे
अवाज कते घैरल जेतौ तोहर सिंहदरबारमे
रेडि, टिभीमे कतहेक सकैचिही छापैले समाचारमे
आइकौला त तोरे गुनगान या प्रचार छापैछौ वेह्यास अखरबारमे
ने भुत ने भविष कते हैछे लोकके कपारमे
जैहिया जागतै थारु समाज लेबे करै आपन मुद्दा अधिकारमे
सब थारु नेतासब आपन मुद्दा नै आनलकै व्यवहारमे
(आब कथि कहबौ यी अन्हारमे ?)२
[ रचना लेखक :- सहदेव चौधरी ]