हमार सनेश डटकम,
श्याम सि.टी.,,
विवाह एक बहुत पवित्र बन्धन हो । विवाह पति आउर पत्नी बीचके एक पवित्र रिस्ता हो । विवाह एक संस्कारके अध्यात्मिक,सामाजिक वैयक्तित आउर पारिवारिक महत्व हो । विवाहके फरक फरक नामसे भी जानलजाइत शादि,वियाह,भोज भतेर भी कहना चलन रहलबा ।
एकर प्रभाव शारीरिक,मानसिक,सामाजिक,भौतिक हरेक क्षेत्रमे प्रभाव परत । विवाह अग्निके साक्षी मानके सात परिक्रमा कइके पवित्र बन्धनमे एक सूत्रमे बाँधजाएलन । ई सात फेरा के एकदम महत्वपूर्ण बा उहेक नाते सात परिक्रमा कराएलन । ई सात पवित्र बात कौन कौन चीज हो ते एकर बारेम जानकारी अइसन मेरके रहलबा । सबसे पहिले कन्या बरसे कहत कि यदि तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्याः,वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाकयं प्रथमं कुमारी ,यनि कि कौनो भी धार्मिक कार्य हो या यज्ञ हो यमने मोकहु भागीदारी बनाइलजाई । दुसर वचन हो पुज्यौ यथा स्वौ पितरौ ममापि तपेशभक्तो निजकर्म कुर्याःवामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम यनिकि कन्या बरसे कहत जइसे अपने आपन माता पिताके प्रेम भावसे मानलजाइत पालन पोषण कइलजाइत ओइसहीं उहेमेरके मोकहु प्रेम कइलजाइ । तीसरा वचन जीवनम अवस्थात्रये मम पालनां कुर्यात,वामांगंयामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तूतीयं कन्या बरसे कहत कि मोके युवा अवस्था,पौढ अवस्था आउर वृद्ध अवस्थामे मोके पालन पोषण कइलजाई साथ देहलजाई तब मै आपके बाहोमे आएक स्वीकार कतबाटु । चौथा वचनमे कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्याः,वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थं यनि कि कन्या बचन माँगत कि भविष्यमे समस्त परिवारके भार आपके कन्धापर बा यदि आप स्वीकार कइलजाइ । पाँचवा वचन स्वसद्यकार्ये व्यवहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्त्रयेथा,वामांगमायामि तदा त्वदीयंं ब्रूते वचःपंचमत्र कन्या आपन घरके कार्य चाहे जौन चीज हो विवाह हो,लेद देन अथवा कौनो काम हो ते पूरा खर्च बर्चके पूर्ति करेक चाँही ।
छठवाँ वचन न मेपमानमं सविधे सखीनां द्युतं न वा दुव्र्यसनं भंजश्रेत,वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम यनि कि यदि मै आपन सखी सहेली संहरी बैठमते सबके लगे मोर अपमान नाई कइल्जाइ आउर जुवा,तास,नसा पदार्थ सेवन नाई कइलजाइ । सातवा वचनमे परस्त्रियं मातृसमां समीक्ष्य स्नेह सदा चेन्मयि कान्त कुर्या,वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वचःसप्तमन्त्र कन्या यनि कि अन्तिम बचनमे पराई स्त्रिीलोगन आपन माता समान मानलजाई आउर नजरसे नाई हेरलजाई कहिके बतागइलबा । उहेमेरके पति आउर पत्नी दुनुजन आपन आपनओरसे वचन निभयना सात सूत्रमे बाँधजाएलन ।
समयके बदलाके साथ साथे हरेक चीजमे परिवर्तन होएना स्वभाविक बात हो । उहेमेरके शादि विवाहमे भी थारु समुदायमे ज्यादा परिवर्तन भइलबा । संस्कृतिके भित्तर अच्छाई भी रहत ते कहुँ बुराई भी भित्रियाजाईत उहेमेरके शादि विवाहमे भी ज्यादा तर दान दहेजके प्रथा भी बढत जाइत बा । कहेलन दुलहा दुलहीक वियाह नाई हो पैसाके शादि विवाह हो उहेमेरके सही हो विना पैसाके विवाह नाई होई । लेकिन आपन जेतना शक्ति बा ओतने मेरके खर्च कयना हो बकिन यहाँ सब देखीक देखा ज्यादा दिखावा करेलगलन । के केतना खर्च आउर दान दहेज देहतबा ओकेसे ज्यादा कइसे दान दहेज दइमिली कहिके बहुत ज्यादा बढत जा रहलबा । पहिलेक शादि विवाह आउर आजके आधुनिक जमानाके शादि विवाहमे बहुत अन्तर होगइलबा । आजकलके वियाहमे ज्यादा चटक भटकमे भडकिलापनमे ज्यादा खर्च कइलेक नाते ज्यादा लोग ऋणमे डूबत बाटन । काकरे कि विवाह करेक खर्तिन ऋण लेहेक परल ऋण न तीरसेकलेसे जमीन बेचेक परल घर खेत बेचेक भी नौबत आजाइत । नेपालीमे एक कहावतबा कि घाँटी हेरी हाड निलौ एकर मतलब का बा कि आपन क्षमता अनुसारके खर्च कइलजाय न कि ज्यादा भडकिला चीजमे खर्च करी । यदि ई सब बचल पैसा स्वास्थ्यमे,शिक्षामे,भविष्यके उज्जवल बनाएकमे खर्च कइलेसे ज्यादा बढिया होइत । उहेक नाते अइसन ज्यादा खर्चिला शादी विवाहके न्युनिकरण कइसेकमिली ते घर घरमे खुशियाली छाई आउर दरिद्रताके कमि होई । आज कल देखलजाई थारु समुदायमे भी दहेज प्रथाके बृद्धि हो रहलबा । केतनालोग ते अपनेसे दहेज माँगे लागल बाटन यनि कि मोल मोलाई करेक शुरु कइदेहले बाटन । यतना देहलजाय उ चीज देहलजाय कहिके मुह खोलके माँगत बाटन । अइसन मगलेसे एक दबावमूलक किसिमके होइलेक नाते एक आपसमे बदला लेहना भाव भी हो सेकी ।
समुदायके परिवर्तनके खर्तिन आजके युवा,बूढ पुरनियाँ,बुद्धिजिवी,समाजसेवी सब जने आपन अपन जगहींसे सुधारेक प्रयास कइले पर अवश्य यी सबमे बढिया परिवर्तन होइ । समाजमे बहुत कुरीति,अन्धविश्वास रहलबा बकिन ऐके कइसे हटा सेकमिली ते एकर पथमे जाएवाला बहुत कमी बा उहेक नाते आइलजाय सब जने संकल्प लेहलजाय कि सब जने हाथसे हाथ मिलाके कन्धासे कन्धा मिलाके आगे बढलजाय आउर समाजके एक सभ्य आउर समृद्ध समाज बनाईलजाय । कौनो भी चीजके बदलेक खर्तिन आजके युवालोगन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका खेलना समय आइलबा,यदि आजके युवालोग बढिया रास्तामे जाए लगहीं ते धीरे धीरे ई समुदाय,समाज आउर राष्ट्र सुधर जाई ।
ई समाजमे रहल तमाम किसिमके खराब बिचार,खराब संस्कार जौन बा ऐके हटाएक खर्तिन,समाजमे बढत गइल दहेज प्रथा,शादी विवाहमे मोल मोलाई कयना प्रथा जइसन खराब प्रचलन केहे ई समाजसे हटाएक बहुत जरुरी रहलबा । अइसन संस्कारकेहे हटाके एक बढियाँ संस्कारके स्थापना कयना ज्यादा जरुरी रहलबा।